
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
भारत सरकार को एक बड़ी कूटनीतिक सफलता मिली है। यमन की हूती सरकार ने भारतीय नागरिका निमिषा प्रिया की मौत की सजा को पूरी तरह से रद्द करने का फैसला किया है। यह फैसला भारत सरकार के लगातार प्रयासों और कूटनीतिक संवाद का नतीजा माना जा रहा है।
निमिषा प्रिया, जो केरल की निवासी हैं, पर यमन में 2017 में एक यमनी नागरिक की हत्या का आरोप था। इस मामले में उन्हें स्थानीय अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। भारत सरकार और उनके परिवार ने इस फैसले को चुनौती दी थी और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लगातार उनकी रिहाई की मांग की जा रही थी।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, भारत ने यमन में हूती प्रशासन के साथ कई दौर की बातचीत की। भारत की तरफ से मानवीय आधार पर दया याचिका भी दायर की गई थी, जिसमें निमिषा की बेटी और परिवार की ओर से भावनात्मक अपील की गई थी।
इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री कार्यालय, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और यमन में भारतीय मिशन की सक्रिय भूमिका रही। भारत सरकार ने यह तर्क दिया कि निमिषा ने आत्मरक्षा में कार्य किया था और उसे यमन की न्याय व्यवस्था में निष्पक्ष सुनवाई का अवसर नहीं मिला।
हूती प्रशासन के इस फैसले के बाद अब निमिषा की वापसी भारत के लिए संभव हो सकती है। हालांकि, अभी उन्हें औपचारिक रूप से यमन की जेल से रिहा करने की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। भारत सरकार लगातार इस दिशा में प्रयासरत है।
निमिषा की मां और परिवार ने इस फैसले पर खुशी जाहिर की है और भारत सरकार का आभार जताया है। यह मामला न सिर्फ भारत-यमन संबंधों के लिहाज से अहम है, बल्कि यह उदाहरण है कि किस तरह कूटनीति और मानवीय अपील के जरिए जीवन की रक्षा की जा सकती है।
निमिषा प्रिया एक नर्स थीं जो काम के सिलसिले में यमन गई थीं। वहां उनका एक स्थानीय नागरिक के साथ व्यापारिक विवाद हुआ था, जिसके बाद हत्या का मामला दर्ज किया गया। इस मामले ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान खींचा था।
अब भारत सरकार निमिषा की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए यमन प्रशासन से आवश्यक कागजी कार्रवाई को जल्द पूरा करने की कोशिश कर रही है। यदि सब कुछ ठीक रहा तो निमिषा जल्द ही भारत लौट सकती हैं।
यह फैसला भारत की एक बड़ी मानवीय और कूटनीतिक सफलता के रूप में देखा जा रहा है।