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भारत बना SDG रैंकिंग में टॉप 100 (99वां स्थान)

नेशनल डेस्क, श्रेया पांडेय |

भारत बना SDG रैंकिंग में टॉप 100 (99वां स्थान), सतत विकास की दिशा में मिल रही सकारात्मक प्रगति

संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से तैयार Sustainable Development Report 2025 में भारत ने पुनः अपनी आर्थिक‑सामाजिक सुधारों की दिशा में ठोस प्रगति का प्रदर्शन करते हुए पहली बार ग्लोबल एसडीजी इंडेक्स में टॉप 100 देशों की सूची में प्रवेश किया है। इस रिपोर्ट में 167 देशों में से भारत का रैंक 99वां (स्कोर 67) आंका गया है, जो पिछले वर्षों की तुलना में उल्लेखनीय सुधार की निशानी है।
वर्ष 2024 में भारत का स्थान 109वां और 2023 में 112वां था, जबकि 2022 में यह 121वां था।
इस तरह 2015 से अब तक भारत ने 7.6 अंकों की वृद्धि दर्ज की है, जो जी-20 देशों में चीन, सऊदी अरब व इंडोनेशिया के बाद चौथे सबसे तेज सुधार की दर बताई गई है।

भारत की यह उपलब्धि मुख्यतः स्वच्छ ऊर्जा (SDG 7), स्वास्थ्य और कल्याण (SDG 3), गरीबी उन्मूलन (SDG 1) व शहरी आधारभूत संरचनाओं में सुधार जैसे लक्ष्यां में निरंतर प्रगति का परिणाम है। उदाहरण स्वरुप, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, जल जीवन मिशन, स्वच्छ भारत मिशन और अयुष्मान भारत जैसे कई राष्ट्रीय कार्यक्रमों ने इन लक्ष्यों को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है । एनर्जी क्षेत्र में भारत का रिन्यूएबल ऊर्जा संश्लेषण वर्तमान में 46.3% के पार पहुंच गया है, और 200 GW क्षमता को पार कर चुका है; जो सरकार के 2030 लक्ष्य—500 GW गैर‑जीवाश्म स्रोतों से ऊर्जा हेतु—प्राप्ति में निर्णायक योगदान दे रहा है।

फिर भी चुनौतियाँ अभी भी मौजूद हैं। शून्य भूख (Zero Hunger – SDG 2), स्वच्छ ऊर्जा व जल (SDG 6), जलवायु कार्रवाई (SDG 13) और पर्यावरण संरक्षण (SDG 14, SDG 15) जैसे क्षेत्र में प्रगति धीमी हो रही है या लगभग स्थिर बनी हुई है । विशेष रूप से क्लाइमेट एक्शन की स्थिति पहले से बिगड़ी हुई पाई गई है; रिपोर्ट में कहा गया है कि पर्यावरणीय लक्ष्यों में भारत पीछे छूट सकता है यदि संसाधन‑प्रबंधन व नीति‑कार्यान्वयन में तीव्र सुधार नहीं हुआ।
 इसका प्रमुख कारण है जल‑तनाव, कोयला निर्भरता, वायु प्रदूषण और प्राकृतिक संसाधनों का असंतुलित दोहन — जो अगले पांच वर्षों में सतत लक्ष्यों को प्राथमिकता देने की दिशा में निर्णायक कदमों की मांग करता है ।

क्षेत्रीय दृष्टि से देखें तो भारत के पड़ोसी देशों—नेपाली (85वां), भूटान (74वां), मालदीव (53वां), श्रीलंका (93वां) आदि की तुलना में भारत कुछ पीछे नजर आता है, लेकिन चीन (49वां) व अमेरिका (44वां) जैसे विकसित देशों के मुकाबले सुधार की रफ्तार के मामले में प्रतिस्पर्धा करने लायक स्थिति में है ।

वैश्विक स्तर पर, एसडीजी लक्ष्यों का 2030 तक पूरा होना चिंता का विषय बना हुआ है—केवल 17% लक्ष्य तक ही दुनिया भर में प्रगति साकार हो पा रही है। इसके पीछे चल रहे संघर्ष, ऋण‑संरचनात्मक जटिलताएँ और फंडिंग की कमी प्रमुख कारण हैं । इसी दृष्टिकोण से 30 जून से 3 जुलाई तक स्पेन के सेविले में आयोजित 4th International Conference on Financing for Development (FfD4) में यही विषय गरमाया रहा, जिसमें वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में दिग्गज और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच असंतुलन का मुद्दा हावी रहा।