महिला ने एलिमनी में 12 करोड़ और BMW की मांग की, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- "खुद कमाकर खाइए"

नेशनल डेस्क, ऋषि राज |
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में एक तलाक के मामले की सुनवाई के दौरान उस समय सभी चौंक गए जब एक महिला ने अपने पति से एलिमनी (गुजारा भत्ता) के रूप में 12 करोड़ रुपये नकद और एक BMW कार की मांग कर दी। मामला केवल 18 महीने की शादी से जुड़ा हुआ था।
महिला की इस मांग को कोर्ट ने "अव्यवहारिक और गैर-जरूरी" करार दिया। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा,
"जब आप खुद पढ़ी-लिखी हैं, काबिल हैं, तो फिर एलिमनी की मांग क्यों? आप खुद भी कमा सकती हैं और आत्मनिर्भर हो सकती हैं।”
जस्टिसों की बेंच ने स्पष्ट किया कि एलिमनी केवल उसी स्थिति में उचित होती है, जब महिला के पास आय का कोई साधन न हो या वह जीवन-यापन के लिए पूरी तरह पति पर निर्भर हो। कोर्ट ने कहा कि आधुनिक और शिक्षित महिलाएं आत्मनिर्भर बनने की क्षमता रखती हैं और तलाक के बाद आर्थिक रूप से खुद को संभाल सकती हैं।
महिला पक्ष के वकील ने तर्क दिया कि शादी के समय पति ने लग्ज़री जीवनशैली का वादा किया था, और इसलिए उनकी मुवक्किल को वही स्तर मिलना चाहिए। लेकिन कोर्ट ने इसे "भावनात्मक तर्क" मानते हुए खारिज कर दिया और कहा कि
"शादी केवल 18 महीनों की रही, और इस दौरान दोनों के बीच गहरा मतभेद था। अब ऐसे में 12 करोड़ और BMW कार की मांग तर्कसंगत नहीं मानी जा सकती।"
इस मामले ने सोशल मीडिया पर भी बहस छेड़ दी है। कई लोग सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का समर्थन कर रहे हैं, तो कुछ इसे महिला अधिकारों की उपेक्षा भी बता रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले से यह संदेश देने की कोशिश की है कि एलिमनी को केवल एक आर्थिक सहारा मानें, न कि अवसर के रूप में। पढ़ी-लिखी, सक्षम और आत्मनिर्भर महिलाओं को अपने पैरों पर खड़े होकर जीवन जीने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।